'सृजन संवाद' के तहत जुगल पुरोहित की पुस्तक पर हुई चर्चा, सृजन के आलोक में बीकानेर का स्थान सर्वोच्च: जोशी
बीकानेर, 25 अक्टूबर। हिंदी साहित्यिक पुस्तकों पर चर्चा की श्रृंखला 'सृजन संवाद' की शुक्रवार को सूचना केंद्र सभागार में शुरुआत हुई। पहली कड़ी में वरिष्ठ कवि जुगल किशोर पुरोहित के हिंदी काव्य संग्रह 'सृजन का आलोक' पर वक्ताओं ने बात रखी। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि कथाकार राजेंद्र जोशी ने की।
उन्होंने कहा कि सृजन के आलोक में बीकानेर का स्थान सर्वोच्च है। यहां की समृद्ध साहित्यिक परम्परा देशभर में विशेष पहचान रखती है। उन्होंने कहा कि जुगल पुरोहित इसी तासीर के रचनाकार हैं। उनकी रचनाओं में विषयों की वैविध्यता है और कथ्यगत दृष्टि से गहराई है।
मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हो गए गीतकार राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि सृजन का आलोक की सभी रचनाएं परिपक्व हैं। सपाटबयानी इनकी सबसे बड़ी खूबी है। जो इन्हें सीधे पाठक मन से रूबरू करवाती हैं।
राजभाषा संपर्क अधिकारी हरिशंकर आचार्य ने कहा कि हिंदी के रचनाकारों के सृजन कर्म पर चर्चा की श्रृंखला प्रारंभ की गई है। इसके तहत प्रतिमाह अलग अलग पुस्तकों पर चर्चा होगी। उन्होंने राजभाषा प्रोत्साहन से जुड़ी गतिविधियों की जानकारी दी।
कवि जुगल पुरोहित ने अपनी चुनिंदा रचनाएं प्रस्तुत की।
वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि 'सृजन संवाद' श्रृंखला बीकानेर की साहित्यिक परम्परा को और अधिक पुष्ट करेगी। अब्दुल शकूर सिसोदिया ने कहा कि ऐसे संवाद साहित्य के लिए लाभदायक होंगे। संजय हर्ष ने युवा रचनाकारों को शामिल करने का आह्वान किया। वरिष्ठ साहित्यकार शिव शंकर शर्मा ने बीकानेर की साहित्यिक परम्परा के अनुभव सांझा किए। इस दौरान डॉ. अजय जोशी, सलीम अहमद सलीम, मनीष पारीक, प्रेम नारायण व्यास, विक्रम सिंह, बृजेंद्र सिंह, परम नाथ, शेरू कच्छावा आदि मौजूद रहे।
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